संतोष का बचपन से ही खेती के प्रति बेहद लगाव था. उनके पिता के पास 20 बीघा खेती है. इसलिए संतोष ने खेती ने 2008 में खेती शुरू की. उनके पति रामचरण खेदड़ होमगार्ड की नौकरी करते थे. दोनों लोगों ने मिलकर अनार की खेती शुरू की . ये काम आसान नहीं था क्योंकि अनार की खेती होती है ठंडी जगह पर और ये लोग रहते थे मरूस्थलीय जगह पर. ये काम बहुत ही कठिन था लेकिन मेहनत और लगन से ये काम भी इन्होंने कर दिखाया.
आसान नहीं था सफर

यहाँ तक पहुंचना संतोष के लिए बिल्कुल आसान नहीं था. 2008 में इनके घर का बंटवारा हुआ और इनके हिस्से मात्र डेढ़ एकड़ ज़मीन ही आई. खेती शुरू करने के लिए इन्हें आर्थिक समस्या बहुत हो रही थी तब इन्होंने अपने भैंस को भी बेचने का फ़ैसला किया और बेच दिया और खेती करना शुरू किया. संतोष की मेहनत रंग लाई और इसके बाद जो हुआ वो इतिहास है.
बेटियों को दहेज में दिए अनार के पौधे

संतोष का खेती के प्रति लगाव और जागरूकता इसी से समझी जा सकती है कि उन्होंने अपनी बेटियों की शादी में भी दहेज के रूप में 500 अनार के पौधे दिए. साथ ही साथ आज सभी मेहमानों को भी दो-दो अनार के पौधे दिए. ये संतोष का खेती के प्रति झुकाव दिखाता है.
किसानों को देती है प्रशिक्षण

संतोष का एक कृषि फर्म भी है जहाँ वो किसानों को खेती के बारे में बताती, सिखाती हैं. वहाँ वो किसानों को फसलों की ज्यादा पैदावार, जमीन को ऊपजाऊ बनाने के बारे में, ज्यादा मुनाफा कमाने के बारे में बताती हैं.